आज के समय में बच्चों को Pre-school (प्री-स्कूल) भेजने का चलन बहुत ही बढ़ गया है। अभी भी बहुत से माता-पिता इस दुविधा में रहते है की क्या उन्हें अपने बच्चों को स्कूल भेजना चाहिए या नही। प्री-स्कूल भेजने से पहले क्या किसी तरह की तैयारी करनी जरुरी है, तो आपको मेरी ये लेख जरुर पढनी चाहिए क्योंकि मै यहां आपको प्री-स्कूल क्या है? बच्चों को स्कूल भेजने से पहले किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए इत्यादि के बारे में बताने जा रही हूँ।
प्री-स्कूल क्या है? Pre-school kya hai in hindi?
दोस्तों, प्री-स्कूल अंग्रेजी का शब्द है जिसका अर्थ होता है एक ऐसा स्कूल जिसमें छोटे-छोटे बच्चों की पढाई खेल-खेल में दी जाती है। इसे प्री प्राइमरी स्कूल, नर्सरी स्कूल, प्ले स्कूल या क्रेच भी कहा जाता है। इन स्कूलों में बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार अनिवार्य शिक्षा दी जाती है। बच्चों को खेल-खेल में पढाना, दोस्ती करना और तरह-तरह की एक्स्ट्रा एक्टिविटीज सिखाई जाती है। यहां बच्चो का शारीरिक एवं मानसिक विकास भी होता है। जब “लड़खड़ाते क़दमों” से हमारा बच्चा स्कूल की ओर बढ़ने लगता है तब हमें कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए।
प्री-स्कूल जाने वाले बच्चों के माता-पिता को क्या करना चाहिए और क्या नही करना चाहिए इसके लिए उपयोगी टिप्स :-
1. प्री-स्कूल भेजने से पहले बच्चों की तैयारी
प्री-स्कूल जाने वाले बच्चों के माता-पिता को चाहिए कि अपने बच्चों को छोटी-छोटी महत्वपूर्ण बातों को सिखाएं। जिसमे उन्हें टॉयलेट जाने की शिक्षा देना अति महत्वपूर्ण होता है। स्कूल में बच्चें अपने माता-पिता और परिवार से दूर रहते है जहाँ उनकी जान-पहचान नये लोगों और नये दोस्तों से होती है। ऐसे में उन्हें ये सिखाएं कि कैसे नये लोगों से बात करें और कैसे उनसे दोस्ती करें। नयी जगह पर टॉयलेट जाने के लिए कैसे मेड को बताएं। कैसे नये दोस्तों के साथ खेल-कूद और तरह-तरह की रचनात्मक कलाओं में भाग लें। ये कुछ ऐसी तैयारियां है, जो माता-पिता को अपने बच्चों को सिखानी चाहिए।
2. प्री-स्कूल भेजने से पहले माता-पिता की तैयारी
माता-पिता की सबसे ज्यादा जिम्मेदारी होती है कि स्कूल भेजने से पहले कैसे बच्चे को तैयार करें। उन्हें प्राथमिक बातें सिखाने के साथ-साथ भावनात्मक रूप से भी तैयार करना अति आवश्यक है। जब बच्चे प्री स्कूल जाना शुरू करते है तो वो बहुत छोटे होते है। अत्याधुनिक जीवनशैली में बच्चों का स्कूल प्री-स्कूल के रूप में बहुत जल्द शुरू हो जाता है। ऐसे में उनके कोमल मन को भावनात्मक रूप से तैयार करना बहुत मुश्किल होता है।माता-पिता को भी अपने मन और भावना को मजबूत बनाना पड़ता है क्योंकि अगर उनका बच्चा बड़ा भी हो जाए तो भी उन्हें यह लगता है की उनके बच्चों को उनकी जरुरत है जोकि बिलकुल सच है। क्योंकि माता-पिता की जरुरत हमेशा होती है। ऐसे में 2-4 साल के छोटे बच्चे को अपने से दूर भेजना बहुत ही मुश्किल होता है। तो अभिभावकों को चाहिए कि अंपने और अपने बच्चों को भावनात्मक रूप से मजबूत बनायें।
3. बच्चों की इम्युनिटी बढ़ाएं
प्री-स्कूल में जाने वाले हुए बच्चे काफी छोटे होते है और जब तक अच्छी तरह से उन्हें खाना-पीना नही आ जाता ऐसे में वो अपना नाश्ता या खाना पूरी तरह कम्प्लीट करके नही आते। ऐसे में एक माँ को यह ध्यान रखना अति आवश्यक है कि उनका पोषण और इम्यून लेवल कम ना हो पाए। ऐसे में उनका इम्युनिटी लेवल बढ़ाने के बहुत सारे जरुरी उपाय करने चाहिए। बच्चों के खानें में फ्रूट्स, दूध, ड्राई फ्रूट्स या सूखे मेवे, दाल, अंडा, चिकेन, मछली और मौसमी हरी एवं पत्तेदार सब्जियों को जरुर शामिल करें। उनके खाने मे ऐसे तरीको का इस्तेमाल करें जिससे वो खुश होकर खाएं भी और उनमे न्यूट्रीशन भी भरपूर मात्रा में हो।
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अदरक, लहसुन, घी, अजवाईन और हिंग जैसे इम्युनिटी बढ़ाने वाले खाद्य-पदार्थों को बच्चों के भोजन में जरुर शामिल करें। हलके-फुल्के फ्लू, कोल्ड जैसे परेशानियों में एंटी बायोटिक्स का इस्तेमाल तुरंत ना करें, क्योंकि इससे इम्यून का पता ही नही लगता है। आप तब तक इंतजार करें और घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल करे जब तक दवाइयों की आवश्यकता ज्यादा ना हो। गाजर, हरी बीन्स, संतरा, स्ट्रोबरी जैसे चीजों में “फाइट न्यूट्रीशन“ पाए जाते है जिससे बॉडी में इन्फेक्शन से लड़ने वाले white blood cells की संख्या बदती है। हमेशा ये ध्यान रखें कि बच्चों की नींद अगर पूरी नही होगी तो भी उसकी इम्युनिटी लेवल कमजोर हो जाएगी। प्री-स्कूल जानेवाले बच्चों को 10-13 घंटे रोज सोना अति आवश्यक है। अगर बच्चा दिन में नही सोता हो तो उसे रात को जल्द सुलाना चाहिए जिससे उसकी मानसिक और शारीरिक थकान दूर हो जाए और उसकी इम्युनिटी में भी बढ़ोतरी होगी।
4. बच्चे के साथ बने बच्चे
बच्चे जब हमसे दूर प्री-स्कूल में जाते है तो वह बहुत ही छोटे होते हैं और उन्हें घर से दूर जा कर बहुत ही अकेलापन महसूस होने लगता है। ऐसे में आपको बच्चों के दोस्त बनने की कोशिश करनी चाहिए। अगर आप बच्चे से दोस्ती करेंगे और उसकी सारी बातें सुनेंगे तो वह बिना किसी झिझक आपसे अपनी सारी बातें शेयर करेंगे। अपनी सारी उलझने आपसे शेयर करेंगे और आपके द्वारा दिए गये समाधान उनके डर और अकेलेपन को दूर करेगा। इसके साथ ही आप भी बच्चे बन जाएँ और अपने बच्चे के साथ खेलना-कूदना उनके जैसी हरकतें करना शुरू करें जो उसे आपके बेहद करीब लायेगा और उसके डर को खत्म करेगा।
5. बच्चे के भावनाओं का करें सम्मान
कितनी बार ऐसा होता है की बच्चे हमारे साथ बहुत कुछ शेयर करना चाहते है। अपनी फीलिंग्स या भावनाओं को बताना चाहते है, कुछ सवालों का जवाब हमसे जानना चाहते है परन्तु हम उन्हें पूरी तरह से संतुष्ट नहीं कर पाते है। ऐसे में उनकी भावनाओं को चोट लगती है। तो हमेशा ये कोशिश करनी चाहिए की हम उनकी भावनाओं को समझे और उससे जुड़ी समस्याओं को सुलझाएं जिससे कि बच्चे हमारे साथ भावनात्मक रूप से ज्यादा से ज्यादा जुड़ सकें। उन्हें हमसे कोई भी बात शेयर करने में कोई झिझक न हो। अपने बच्चे की बातो को ऐसे सुने जिससे उन्हें लगे की आप उनपर विश्वास करते है। ऐसे में आप दोनों भावनात्मक रूप से और करीब आ पाएंगे।
6. सही प्री-स्कूल का चुनाव
प्री-स्कूल भेजने से पहले इसका चुनाव करना बेहद आवश्यक होता है क्योंकि इस जगह का हमारे बच्चे पर सामाजिक, शारीरिक और भावनात्मक प्रभाव पड़ता है। ये कुछ ऐसे पहलु है जो बच्चे के संतुलित विकास को बढ़ावा देने में अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। प्री-स्कूल का वातावरण ऐसा होना चाहिए जहाँ बच्चे को आनन्दायक और घर के समानांतर सुरक्षित महसूस हो। प्री-स्कूल के चुनाव में शिक्षकों की योग्यता, पाठ्यक्रम, घर से स्कूल की दूरी, स्कूल स्थल, वातावरण, स्कूल की सुख-सुविधायें इत्यादि बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए।
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7. स्कूल के शिक्षकों का चुनाव
प्री-स्कूल पहले के ज़माने में नही हुआ करते थे। ये आज के आधुनिक दौर में शुरू हुए हैं, तो ऐसे में आवश्यक है की उसमे पढ़ाने वाले शिक्षक भी ऐसे हो जो पुराने अनुभवों के साथ-साथ नये तौर-तरीकों में कुशल हो और बच्चों को नये तरीके से पढ़ा सके। इसलिए दोस्तों अपने बच्चों की प्री-स्कूल भेजने से पहले स्कूल की जाँच और वहां के शिक्षकों की जानकारी अवश्य लें। जिससे कि आपका बच्चा एक अच्छे स्कूल में और अच्छे शिक्षको के साथ अपनी शिक्षा प्राप्त कर सके।
8. पढाई के तरीको की जाँच
अपने बच्चों को स्कूल भेजने से पहले पूरी तरह की जाँच-परख अति आवश्यक है। हमेशा ऐसे स्कूल का चुनाव करें जिसमे शिक्षक अनुभवी होने के साथ-साथ आधुनिक तरीकों को भी जानते हो। पढाई के तरीके ऐसे हो जिससे बच्चा नयी चीजों को सिखने के साथ पढाई भी करें। चूँकि प्री-स्कूल नये ज़माने की देन है और पहले के ज़माने में छोटे बच्चों के लिए प्राइमरी स्कूल होते थे, जहाँ कक्षा 1 से या कहीं-कहीं नुर्सरी से स्कूल की पढाई की शुरुआत होती थी। लेकिन आज की आधुनिकता में प्री-स्कूल अति आवश्यक हो चुका है, विशेष रूप से शहरों और महानगरों में इसलिए पढाई भी आधुनिक तरीके से होनी चाहिए। जिनमे खेल-कूद में पढाई के साथ-साथ कला प्रदर्शन, रचनात्मक और सांस्कृतिक कार्यक्रम इन सबको आधुनिक तरीको से सिखाना मुख्य रूप से शामिल हो। जिससे इन स्चूलों के बच्चे आधुनिक तरीको से और जल्दी सीख सके।
9. सही वातावरण का चुनाव
प्री-स्कूल भेजने से पहले ये भी पता कर लें की वहां का वातावरण कैसा है। स्कूल का वातावरण आपके बच्चे के विकास के लिए सकारात्मक है या नही। वहां के नियम और तौर-तरीके क्या आपके बच्चे को वो माहौल दे पाएंगे जो आप उसे देना चाहते है। सही वातावरण बच्चे को सकरात्मक बना कर उसे एक अच्छा नागरिक बनने की नीँव या जड़ प्रदान करेगा।
तो दोस्तों कैसी लगी आप सबको मेरे द्वारा दी गई जानकारी। अगर अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों में शेयर जरुर करें| जिससे वैसे माता-पिता जिन्हें अपने बच्चे को प्री-स्कूल भेजना हो उन्हें मदद मिलेगी। अगर कोई सवाल हो या कोई टॉपिक हो जो आपको पढना हो तो कमेंट बॉक्स में लिखें, मै उसे पूरी करने की कोशिश करुँगी।
धन्यवाद
हेलो दोस्तों, मै नवेदिता कुमारी “अच्छी and healthy जानकारी” की author हूँ | मेरे इस ब्लॉग पर आपको heath, beauty, lifestyle, Devotional (धार्मिकता से जुड़े), curiosity से जुड़ी सभी जानकारी मिलेगी, जिसे आमतौर पर आप google में ढूढ़ते है |
Thyroid par bataye kuch jankari
Bilkul sachhi and reality baat aapne bataye Apne blog through thanks and continue karte rage aise hi kisi valuable topic par jisse public Ko help mile thanks.
Very nice post 👍
bhaut hi achhi jankari aapne di