किडनी मानव शरीर का एक बेहद महत्वपूर्ण अंग है, जो रक्त में पानी, सोडियम, पोटैशियम एवं अन्य तरल पदार्थों का संतुलन बनाये रखता है और शरीर के विषाक्त पदार्थों को मूत्र के द्वारा बाहर निकालने का काम करता है। किसी भी कारण से जब किडनी ये काम करना बंद कर देती है या कम कर देती है तो इस स्थिति को किडनी की विफलता (Kidney Failure) कहते है। आज हम जानेंगे की किन कारणों से किडनी की विफलता होती है, इसके लक्षण क्या होते है, कैसे इसका उपचार किया जाता है इत्यादि।
किडनी (गुर्दे) की विफलता Kidney Failure in hindi
जैसा की आप सबको पता है की किडनी हमारे शरीर के लिए अति आवश्यक अंगो में से एक है। “किडनी” हमारे शरीर के लिए छानना या filter का काम करता है। किडनी को हिन्दी मे “वृक्क” या “गुर्दा” कहते है। इसकी विफलता को मुख्य रूप से दो भागों मे विभाजित किया गया है।
(1) अल्पकालीन किडनी विफलता(Acute kidney injury,AKI):-
इसमे किडनी रक्त से अपशिष्ट पदार्थों को सही तरीके से अलग नही कर पाता है जिससे शरीर मे पानी की मात्रा का संतुलन बिगड़ जाता है। इसके कारण पेशाब कम आता है जिससे पैरों और शरीर में सूजन हो जाता है।
(2) दीर्घकालीन किडनी विफलता(Chronic Kidney Disease,CKD):-
इसमे किडनी की विफलता का पता तब चलता है जब किडनी लगभग 60-70 % खराब हो चुकी होती है। इसके प्रारम्भिक लक्षण निन्म्लिखित है :- थकान महसूस होना, साँस फूलना, नींद कम आना, भूख कम लगना, चेहरे पर सूजन,खुजली होना इत्यादि। किडनी की बीमारी में मरीज को बहुत सी शारीरिक परेशानियों के साथ ही साथ आर्थिक परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है। किडनी के मरीज को अगर सही ढंग से इलाज और खानपान नही दिया जाए तो यह जानलेवा भी हो सकता है।
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तो दोस्तो आज हम बात करेंगे किडनी के विफल होने के कारण लक्षण और इससे होनेवाली परेशानियों के साथ इससे बचाव के लिय क्या-क्या करना चाहिए और इसमे खानपान कैसा होना चाहिए। जैसा की हम सभी जानते हैं की प्रत्येक व्यक्ति के शरीर में दो गुर्दे होते हैं, जो मुख्य रूप से यूरिया, क्रिएटिनिन, एसिड, जैसे नाइट्रोजनयुक्त अपशिष्ट पदार्थों को रक्त में से छानने के लिए जिम्मेदार होते हैं। ये हमारे मूत्र प्रणाली का एक आवश्यक भाग है और जो इलेक्ट्रोलाईट नियंत्रण, अम्ल-क्षार संतुलन एवं रक्तचाप नियंत्रण जैसे समस्थिति (Homeostatic) का कार्य भी करते हैं।ये शरीर में रक्त के प्राकृतिक शोधक के रूप में कार्य करते है और अपशिष्ट पदार्थों को हटाकर उसे मूत्राशय की ओर भेजते है। मूत्र का उत्पादन करते समय किडनी यूरिया और अमोनियम जैसे अपशिष्ट पदार्थ उत्सर्जित करते है।
किडनी की संरचना :- Kidney Structure in hindi
किडनी हमारे शरीर का बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है | इसका आकर सेम के बीज की तरह होता है। दाहिनें किडनी का भार 81 से 160 ग्राम और बायें किडनी का भार 83 से 176 ग्राम होता है। दाएं गुर्दे की उपरी सीमा यकृत यानि लीवर से सटी हुई होती है और बायीं सीमा प्लीहा यानि स्प्लीन से जुड़ी होती है। अतः सांस लेने पर ये दोनों ही निचे की ओर जाते है। किडनी लगभग 11-14 सेंटीमीटर लंबा, 6 सेंटीमीटर चौड़ा और 3 सेंटीमीटर मोटा होता है। किडनी द्वारा बनाए गये मूत्र को मूत्राशय तक पहुँचाने वाली नली को मुत्रवाहिनी कहते है। यह सामान्यतः 25 सेंटीमीटर लंबी होती है और विशेष प्रकार की लचीली मांसपेशियों से बनी होती है। मूत्रनलिका द्वारा मूत्र शरीर से बाहर आता है। महिलायों में पुरुषों की तुलना में मूत्रमार्ग छोटा होता है।
जैसा की हम सब जानते है की मधुमेह (डाइबेटिक) के लिए मुख्य रूप से दो जाँच होते है, रक्त के द्वारा एवं मूत्र के द्वारा। इन जाँचों के नतीजे से हमे ये पता चलता है की शरीर में शुगर की मात्रा कितनी है यानि निर्धारित मात्रा से अधिक या कम है। रक्त की जाँच दो प्रकार से की जाती है।
- बिना कुछ खाए हुए यानि खाली पेट।
- खाना खाने के दो घंटे बाद।
अगर इन दोनों जाँचों में शुगर का लेबल बढ़ा हुआ हो तो आपको मधुमेह (डाइबेटिक) की बीमारी है और इसके असर से होने वाली किडनी की बीमारी बहुत ही खतरनाक होती है। समय-समय पर इसकी जाँच करवाते रहना चाहिए। ठीक वैसे ही उच्च रक्तचाप के मरीजों को भी समय-समय पर अपने रक्तचाप की जाँच करवाते रहना चाहिए, क्योकि किडनी की विफलता में मधुमेह और उच्च रक्तचाप की भूमिका भी बहुत ज्यदा होती है।
इसके साथ ही साथ एंटीबाओटिक, दर्द निवारक जैसे दवाओं का अत्यधिक सेवन और मूत्र जुड़ी हुई समस्याएं किडनी को खराब/विफल करने में सहायक होते है।
दोस्तों किडनी की बीमारी ऐसी है जिसमे मरीज को शुरू-शुरू में पता भी नही चलता और यह गंभीर रूप धारण कर लेता है। कई बार पता जब तक चलता है किडनी पूरी तरह खराब हो चुकी होती है। यही कारण है की इसे ” साइलेंट किलर ” भी कहा जाता है। बहुत से लोग अभी भी इसके बारे में पूरी तरह नही जानते है। जैसे :- किडनी खराब होने के कारण, इसके प्रारंभिक लक्षण और इसके उपचार की विधि इत्यादि।
किडनी की विफलता के लक्षण Symptoms of Kidney Failure in hindi :-
किडनी की बीमारी में शुरू-शुरू में किसी प्रकार का कोई लक्षण दिखायी नही देता है। जिस कारण प्रारंभिक अवस्था में इसका उपचार प्रारम्भ नही हो पाता है। एक सर्वे GBD यानि ग्लोबल बर्डन डीजीज के अनुसार किडनी की बीमारी के कारण प्रति वर्ष हमारे देश में लगभग 2 लाख लोग मृत्यु को प्राप्त हो जाते है।
इसके प्रारंभिक लक्षणों में निम्नलिखित है :-
- कमजोरी महसूस होना।
- भूख में कमी।
- मूत्र में अत्यधिक दुर्गंध।
- एनीमिया।
- उलटी आना या उलटी आने जैसा महसूस होना।
- मूत्र में झाग बनना या रक्त स्राव होना।
- पेट और पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना।
- उच्च रक्तचाप होना।
- शुगर लेबल उच्च बने रहना।
- गैस की समस्या बने रहना।
जब ये सारे लक्षण एक साथ शरीर में दिखने लगे तो डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें। क्योकि एक साथ ये सारे लक्षण किडनी विफलता की ओर इशारा करते हैं। प्रारंभिक जाँच में शुगर, मूत्र, उच्च रक्तचाप और सीरम क्रिएटिनिन की जाँच ही काफी है, ये जानने के लिए की किडनी कितनी खराब हो चुकी है। जब सीरम क्रिएटिनिन का लेबल 9 या इससे अधिक हो जाता है तब किडनी शरीर के अपशिष्ट पदार्थों की फ़िल्टर करने में असमर्थ हो जाता है जिस कारण पीड़ित व्यक्ति के रक्त में पाए जाने वाले अपशिष्ट पदार्थों को डायलिसिस के द्वारा निकाला जाता है।
नोट :- ज्यादातर मामलों में ये तब पता चलता है जब तक किडनी 60 % से ज्यदा खराब हो चुकी होती है |
किडनी विफलता के मरीजों की कैसा आहार लेना चाहिए :-
किडनी विफलता से पीड़ित मरीजों को स्वस्थ रहने के लिए दवा के साथ-साथ सबसे जरूरी है आहार योजना के सिद्धांतो का अनुसरण करना, जो की किडनी कि विफलता की प्रगति को धीमा करने में सहायक होता है। रक्त में पाये जाने वाले यूरिया एवं अन्य अपशिष्ट पदार्थों के प्रभाव को कम करने के साथ ही साथ डायलिसिस की आवश्यकता को लंबे समय तक टालता है।
किडनी विफलता के मरीजों के लिए आहार के सिद्धांत :-
- प्रतिदिन पानी कि मात्रा 1-1.5 से ज्यदा नही लेनी चाहिए।
- भोजन में सोडियम, पोटैशियम एवं फॉस्फोरस कि मात्रा कम होनी चाहिए।
- मरीज को उच्च मात्रा वाले फाइबर युक्त आहार लेना चाहिए।
- ज्यदा वसायुक्त तले हुए खाद्य पदार्थों का सेवन जितना कम हो सके करना चाहिए।
- हरी पत्तेदार सागों एवं सब्जियों का सेवन नही करना चहिए। जैसे :- धनिया पत्ती, बंदगोभी, चौलाई, पालक, बथुआ | बीन्स, सेम जैसे फलीदार सब्जियों का सेवन भी वर्जित है।
- डॉक्टरों के अनुसार सेव, पपीता, अमरूद और नासपाती जैसे फलों का सेवन ही उपयुक्त है। अंगूर, तरबूज, मोसंबी, संतरा जैसे रसीले या पानीयुक्त फलों का सेवन बिलकुल भी नही करना चाहिए।
- किडनी के मरीज मांसाहार का सेवन भी कर सकते है सुनिश्चित मात्रा में। जैसे :- अंडे का पिला वाला भाग निकाल कर सफ़ेद वाला भाग ले सकते है। चिकेन और मछली का सेवन भी सीमित मात्रा में कर सकते है।
- भोजन में नमक एवं प्रोटीन की मात्रा कम होनी चाहिए। लेकिन जब मरीज का डायलिसिस हो रहा हो तो उसे प्रोटीन की नार्मल मात्रा लेनी चाहिए।
नोट :- उपरोक्त बातें सामान्य जानकारी के आधार पर वर्णीत है । अधिक जानकारी के लिए किसी विशेषज्ञ या डॉक्टर से परामर्श करें। “अच्छी and Healthy जानकारी ” इस जानकारी के सत्यता का दावा नही करता है।
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