औषधीय गुणों से भरपूर परिजात का पौधा कई बीमारियों का कारगर उपचार कर सकता है। क्या आपको पता है कि “पारिजात” का एक प्रचलित नाम “हरसिंगार“ भी है। मान्यता है कि सीता जी वनवास के दौरान अपना श्रृंगार इसी के फूलो से करती थी, इसलिए इसे हरसिंगार भी कहा जाता है। साथ ही साथ ही यह अत्यंत मोहक मनभावन खुशबु से भरी होती है और कुछ धार्मिक मान्यताओ के अनुसार यह अतिपावन और पूजनीय भी है। अभी हाल ही में अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन से पहले हमारे भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने राम जन्म भूमि स्थल पर पारिजात का पौधा लगाया।
तो आइये आज यह जानने की कोशिश करते है कि आखिर यह पौधा है क्या? इसकी महत्ता क्या है। इसका औषधीय और धार्मिक गुण क्या है जो माननीय प्रधानमंत्री जी ने यह पौधा लगाया?
Contents-कंटेंट्स
- 1 हरसिंगार (पारिजात) क्या है? | Harsingar (Parijat) kya hai in hindi
- 1.1 हरसिंगार (पारिजात) की खेती :-
- 1.2 हरसिंगार की 10 महत्वपूर्ण विशेषताए : –
- 1.3 हरसिंगार के औषधीय गुण एवं फायदे :-
- 1.3.1 (I) बुखार में हरसिंगार का उपयोग :–
- 1.3.2 (II) चिकनगुनिया में हरसिंगार:-
- 1.3.3 (III) साइटिका में हरसिंगार:-
- 1.3.4 (IV) आर्थराइटिस में हरसिंगार:-
- 1.3.5 (V) पेट सम्बन्धी समस्या में हरसिंगार:-
- 1.3.6 (VI) शारीरिक शक्ति बढ़ाने में भी उपयोगी:-
- 1.3.7 (VII) शारीरिक दर्द दूर करने में लाभकारी:-
- 1.3.8 (VIII) कफ या खाँसी–सर्दी और बलगम में उपयोगी:-
- 1.3.9 (IX) मानसिक क्षमता को बढाने में सहायक:-
- 1.3.10 धन्यवाद
- 1.3.11
हरसिंगार (पारिजात) क्या है? | Harsingar (Parijat) kya hai in hindi
धार्मिक मान्यताओ के अनुसार “हरसिंगार” वृक्ष की उत्पति समुंद्र मंथन के दौरान हुई थी और यह देवताओ को मिला जिसे स्वर्ग में इंद्र ने अपनी वाटिका में लगाया था। श्रीकृष्ण जी के द्वारा नरकासुर का वध किये जाने के परिणाम स्वरुप इंद्र ने “हरसिंगार“ का पुष्प उन्हें भेट किया था। इसके उपरांत श्रीकृष्ण जी ने अपनी पत्नी सत्यभामा की जिद के कारण युद्ध में इंद्र को पराजित करके इसे स्वर्ग से पृथ्वी पर ले आए। चूकि यह पौधा पराजित करके लाया गया था इसीलिए इसे “पारिजात“ भी कहा जाता है। इन्ही सब कारणों से हिन्दू धर्म में इस पौधे का विशेष महत्व है।कहा तो ये भी जाता है की पारिजात का फूल भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी को अति प्रिय है, क्योकि लक्ष्मी जी भी समुंद्र मंथन से प्रकट हुई थी। मान्यता यह भी है इसी फूल के प्रभाव से श्रीकृष्ण जी की पत्नी रुक्मिणी चिरयौवना हो गयी थी। कहते है कि “हरसिंगार” के फूलो को तोड़ना नही चाहिए, इसके जो फूल खुद ही टूटकर गिर जाते है, उसे ही भगवान को चढ़ाना चाहिए।इसके फूलो की खुशबू ऐसी होती है कि इसके सुगंध से ही सारी थकान मिट जाती है और मन प्रसंचित हो जाता है। हरसिंगार के फूल सिर्फ रात में ही खिलते है और सुबह से शाम होते–होते मुरझा भी जाते है। चूकि ये सिर्फ रात में ही खिलते है और अपनी खुशबू से सारे वातावरण को सुगन्धित कर देते है, इसलिए इसे “रात की रानी” भी कहा जाता है।
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परिजात का वानस्पतिक नाम “निक्टेंन्थिस आर्बर-ट्रिस्टिस” है और इसका अंग्रेजी नाम “नाईट जैस्मिन” है। इसे अलग–अलग जगहों पर भिन्न–भिन्न नामो से जाना जाता है जैसे: रात की रानी, शेफाली, शिउली इत्यादि। यह पश्चिम बंगाल का “राजकीय पुष्प“ है।
हरसिंगार (पारिजात) की खेती :-
पारिजात की व्युत्पति “परिनाहा समुद्रधर जधो व पारिजात” समुद्र से हुई थी। यह ज्यादातर नेपाल के उपोष्णकटिबंधीय हिमालय और भारत के दक्षिणी हिस्सों में पाया जाता है। दुनिया भर में उषणकटिबंधीय क्षेत्रो में व्यापक रूप से खेती की जाती है। इस पौधे की खासियत यह है कि इसके प्रत्येक भाग को विभिन्न रूपों में विभिन्न तरह की चिकित्सा के उद्देशय से प्रयोग किया जाता है। इसके पत्तों में व्यापक रूप से स्पेक्ट्रम औषधीय गुण होते है, जैसे कि antibacterial anti inflametry, antipyretic और antitelihatic प्रभाव होता है। आयुर्वेदिक साहित्य में निवास स्थान, आकृति विज्ञान, व्युत्पति, पारंपरिक औषधीय विज्ञान, चिकित्सीय उपयोग आदि का वर्णन बड़े पैमाने पर मिलता है।
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पारिजात के पौधे आमतौर पर 10 से 15 फिट ऊँचे होते है, लेकिन कहीं–कहीं इसकी ऊँचाई 25 से 30 फिट भी होती है।
हरसिंगार की 10 महत्वपूर्ण विशेषताए : –
- हरसिंगार का पेड़ आमतौर पर 10 से 15 फिट ऊँचा होता है लेकिन कहीं–कहीं इसकी ऊँचाई 20 से 25 फिट ऊँची होती है।
- इसके पौधे पर लगने वाला फूल बेहद ही सुन्दर और आकर्षक होता है। इसके फूल छोटे छोटे होते है जिसमें फूल तो सफ़ेद होता है लेकिन उसका डंठल केसरिया रंग का होता है। इसके फूलो की खुशबु से मन अति प्रसन्नचित हो जाता है और जिन्हें कोई मानसिक परेशानी हो उनका भी मन एकाग्रचित हो जाता है।
- हरसिंगार के पेड़ पर काफी मात्रा में जल्दी–जल्दी फूल लग जाते है, इतना ही नही अगर इसके फूल को रोजाना भी तोड़ा जाए फिर भी अगले ही दिन यह पेड़ फूलो से भरा –भरा हो जाता है। पौराणिक मान्यताओ के अनुसार ऐसा कहा जाता है की पारिजात के फूल टूटते है तो पेड़ से थोड़ी दूर अलग ही गिरते है और यह सच भी है।
- हरसिंगार के पौधे की एक अलग खासियत यह है की इसकी टहनियाँ ज्यादा ऊपर नही जाती है और अगर पृथ्वी को छू भी जाये तो सुख जाती है।
- हरसिंगार के फूल या फलो के रस का सेवन अगर साल में एक या दो बार किया जाये तो ह्रदय रोगों (Heart disease) से बचा जा सकता है।
- प्रतिदिन इसका सेवन करनेवाला चिरयौवना या जवान बना रहता है।
- इसके फूलो की खुशबू ऐसी मनमोहक और तेज होती है जिसके कारण इसका उपयोग इत्र और अगरबत्ती बनाने में भी किया जाता है। इसके फूलो का उपयोग रंग बनाने में भी किया जाता है। इसके फूलो से बने पीले रंग को कपडे के रंगने में डाई के रूप में प्रयोग किया जाता है।
- पूर्वोतर राज्य “असम” में इसके फूलो और कोमल पत्तियों का उपयोग कई तरह के खाद्य पदार्थो एवं व्यंजनों को बनाने में किया जाता है।
- इसका फूल मूत्रवर्धक, एंटी-ऑक्सीडेंट और इसकी पत्तिया एंटी-बैक्ट्रियल, एंटी- इन्फ्लेमेंट्री, एंटी-पैरेटिक और एंटी-फंगल होती है।
- इसके पत्तों का रस खरा और कड़वा होता है। इसलिए इसका प्रयोग त्वचा की बीमारियों में भी किया जाता है। इसका उपयोग तरह-तरह के ‘’फेस पैक’’ बनाने में भी किया जाता है। यह त्वचा के रोगों में भी लाभकारी होता है।
हरसिंगार के औषधीय गुण एवं फायदे :-
हरसिंगार के पौधे में बहुत से औषधीय गुण होते है। बहुत सी बीमारियों में इसका प्रयोग अत्यंत ही लाभकारी होता है। आइए हम जानते है की इसका प्रयोग किस बीमारी में किस तरह से करना चाहिए जिससे इसका लाभ मिले सके। यह बुखार, चिकनगुनिया, साइटिका, आर्थराइटिस, पेट सम्बंधित परेशानिया, शारीरिक दुर्बलता और बच्चों की मानसिक क्षमता को बढाने में भी लाभकारी होता है।
(I) बुखार में हरसिंगार का उपयोग :–
अगर बहुत दिनों से बुखार हो और उसमे सुधार नही हो रहा हो तो ऐसी स्थिति में पारिजात/हरसिंगार का उपयोग जरुर करना चाहिए। इसके पेड़ की थोड़ी सी छाल और 5-7 पतियो को ले ले और इसे 3-4 तुलसी की पत्तियों के साथ उबालकर नियमित रूप से पिये तो इसके प्रभाव से बुखार उतर जाता है और बुखार के वजह से जो कमजोरी हुई हो वो भी दूर हो जाती है।
(II) चिकनगुनिया में हरसिंगार:-
अगर चिकनगुनिया की बीमारी हो तो दवाओ के साथ-साथ हरसिंगार के पतों को 3 से 4 दिन उबालकर पी लिया जाये तो यह बहुत ही लाभकारी साबित होता है । कभी–कभी यह बिल्कुल ठीक भी कर देता है।
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(III) साइटिका में हरसिंगार:-
साइटिका कमर से शुरू होकर पैरो तक जानेवाले दर्द की समस्या हो और इसके कारण चलने–फिरने में भी समस्या हो तो हरसिंगार के 3-4 पतियों को कूटकर दो गिलास पानी में उबाल ले और सुबह–शाम पीये तो साइटिका या गृध्रसी या रेंगनबाई की बीमारी में भी आराम मिलता है।
(IV) आर्थराइटिस में हरसिंगार:-
आर्थराइटिस में इसका प्रयोग अति लाभकारी होता है । एक गिलास पानी में 5-6 पतों की चटनी बनाकर डाल दे और उसे उबालकर आधा कर ले। फिर उसे ठंढा होने के लिय रात भर छोड़ दे और सुबह खाली पेट इसका सेवन करे तो कितना भी पुराना आर्थराइटिस का दर्द हो ठीक हो जाता है। एक बात का ध्यान रखे की इसं काढ़े को बनाने की प्रक्रिया रात में ही पूरी कर ले जिससे यह पूरी तरह ठंढा हो जाये, क्योकि अगर इसे गरम पिया जाये तो यह शरीर को और भी गरम कर देता है। इसका कारण है की इसकी तासीर बहुत ही गरम होती है और पतों से बनी हुई चटनी को बिना छाने हुए पीना चाहिए तभी यह फायदेमंद होता है। यह गठिया के रोगों में भी अत्यंत लाभकारी होता है।
(V) पेट सम्बन्धी समस्या में हरसिंगार:-
यदि पेट में कब्ज की समस्या हो तो इसके बीजो का उपयोग करने से लाभ मिलता है। अगर बच्चों के पेट में कीड़ा या कृमि हो गया हो तो उसे खत्म करने में यह अति सहायक होता है, क्योंकि पारिजात कृमिनाशक पौधा भी है। इसके लिए पारिजात के पतों का रस 2 चम्मच और इसके साथ थोड़ा मिश्री या गुड़ डालकर सुबह खाली पेट पिला दिया जाये तो यह कीड़ो का नाश कर देता है।अगर बच्चा ज्यादा छोटा हो तो एक ही चम्मच पिलाना चाहिए, क्योकि एक तो यह काफी गरम होता है और दूसरा ये बहुत ही कड़वा होता है। इसके नियमित प्रयोग से कुछ ही दिनों में कीड़ो का नाश हो जाता है और बच्चे कृमि मुक्त हो जाते है। पुरे साल में अगर बच्चों को एक या दो बार पिला दिया जाये तो कृमि या कीड़ो से सम्बंधित परेशानी उन्हें कभी नही होगी।
(VI) शारीरिक शक्ति बढ़ाने में भी उपयोगी:-
इसका पौधा शारीरिक शक्ति बढाने के लिए भी अधिक लाभकारी है। इसके फूल को छाया में सुखाकर उसका पाउडर बना ले, फिर इसमें 200-250 mg से लेकर 500 mg मिश्री मिलाकर नियमित रूप से सेवन किया जाए तो इससे शरीर की शक्ति व् चुस्ती-फुर्ती बढ़ जाती है और शारीरिक उर्जा में भी वृद्धि हो जाती है।
(VII) शारीरिक दर्द दूर करने में लाभकारी:-
यदि शरीर में दर्द और साथ ही सूजन भी हो तो पारिजात/हरसिंगार की छाल को पानी में उबालकर सुबह-शाम नियमित रूप से पीने से दर्द और सूजन भी ठीक हो जाता है। इस काढ़े का उपयोग दर्द और सूजनवाले स्थान पर नमक के साथ सेकने के लिए भी किया जाए तो ये बहुत लाभकारी होता है।
(VIII) कफ या खाँसी–सर्दी और बलगम में उपयोगी:-
अगर सर्दी, खाँसी, बलगम और कफ की समस्या हो तो इसके पत्तों का प्रयोग हर्बल टी के रूप में भी कर सकते है। यह अत्यंत लाभकारी होता है। इसके लिए हरसिंगार की 2-3 पत्तियों, एक–दो फूल और तुलसी के कुछ पतों को डालकर चायपत्ती के साथ उबाले । इस काढ़े या हर्बल टी को पीने से ये सारी परेशानियाँ ठीक हो जाती है ।
(IX) मानसिक क्षमता को बढाने में सहायक:-
दोस्तों सभी माता–पिता यही चाहते है की हमारे बच्चें हमेशा खुश रहे, एकाग्रचित रूप से पढ़ाई करे और हर एक जगह सफल हो, लेकिन कभी–कभी कुछ बच्चों में इसके विपरीत ही होता है।जैसे:- जल्दी क्रोधित होना, पढाई में एकाग्रचित नही होना, नकारत्मक विचारो का होना, मूड बदलना या स्विंग करना इन सब परेशानियों से मुक्ति दिलाता है यह पौधा। अगर आपके बच्चो में ये परेशानियाँ हो तो आप इसका एक पत्ता प्रतिदिन खिलायें तो इन परेशानियों से बचा जा सकता है। प्रतिदिन सुबह खाली पेट एक पत्ता खाने से यह मानसिक परेशानियाँ दूर करता है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है की पारिजात में रक्त–शोधन (blood purifying) की क्षमता होती है, जो हमारे मानसिक तथा शारीरिक विकास के लिय अति महत्वपूर्ण है।
अन्तत: दोस्तों आपसे यही कहना चाहती हूँ की इस दैवीय, पावन, धार्मिक और सबसे बड़ी बात औषधि से भरपूर इस पौधे को अपने घर–आंगन या आस–पास के बगीचे में लगाये और इसकी मनमोहक खुशबू से भरे सर्वगुण संपन्न पौधे के गुणों का लाभ उठाये। इसकी फूलो की खुशबू से वातावरण तो महकता ही है, साथ–साथ वास्तुदोष भी दूर हो जाता है। दोस्तों इस पौधे को जरुर लगाइये और इसका लाभ उठाकर अपनी काया को निरोगी रखिए।
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हेलो दोस्तों, मै नवेदिता कुमारी “अच्छी and healthy जानकारी” की author हूँ | मेरे इस ब्लॉग पर आपको heath, beauty, lifestyle, Devotional (धार्मिकता से जुड़े), curiosity से जुड़ी सभी जानकारी मिलेगी, जिसे आमतौर पर आप google में ढूढ़ते है |
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Pls madam Aparajita flower par bhi ek article likhye. Sab janan chahate hai