Skin Care : त्वचा क्या है ? इसके देखभाल के कुछ घरेलू उपचार | Twacha ke dekhbhal ke gharelu upchar in hindi

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Skin Care : त्वचा क्या है? त्वचा की देखभाल कैसे करनी चाहिए या कहें तो इसकी देखभाल के लिए क्या-क्या घरेलू उपाय कर सकते है | दोस्तों सुंदरता की ना तो कोई सीमा होती है और ना ही कोई परिभाषा यदपि प्रत्येक इन्सान यही चाहता है की उसकी त्वचा सुन्दर, स्वस्थ, हेल्दी, बेदाग और चमकीली बनी रहे, जिससे वह हमेशा सबसे सुन्दर दिखे। लेकिन सुंदरता बाहार से ज्यादा अन्दर से होनी अति आवश्यक होती है। यदि कोई व्यक्ति अन्दर से आत्म विश्वासी, स्वस्थ और प्रसन्न हो तो उसकी बाहरी सुंदरता भी उसके चेहरे और खूबसूरती में चार चाँद लगा देती है। दोस्तों सुंदरता की कोई विशेष परिभाषा नही है परन्तु आज के समय में बाहरी दिखावे को ही असली सुंदरता मान लिया गया है और इसके लिए तरह-तरह के कृत्रिम संसाधनों और सौन्दर्य प्रशाधनो (ब्यूटी प्रोडक्ट) का उपयोग करने भी किसी प्रकार की हिचकिचाहट नही होती है, जिसके फलस्वरूप त्वचा पर उसका प्रभाव अच्छा और बुरा दोनों तरह से होता है। अर्थात जब तक कृत्रिम प्रसाधनो का उपयोग होता है तब तक त्वचा उसके प्रभाव से अत्यधिक सुन्दर दिखती है और जैसे ही उसका प्रयोग बंद कर दिया जाये तो उसका दुष्प्रभाव भी हमारी त्वचा पर दिखाई देने लगता है। अत: कोशिश करनी चाहिए की प्राकृतिक चीजों का प्रयोग ज्यादा से ज्यदा किया जाये ना की कृत्रिम चीजों का। आइये हम जानते है की त्वचा क्या है और इसकी सुंदरता को बनाये रखने के लिए हमे क्या-क्या करना चाहिए |

त्वचा क्या है ? | what is skin in hindi?

त्वचा-क्या-है

 

त्वचा विज्ञान मुख्य रूप से औषधिशास्त्र की वह शाखा है जिसके तहत बाल, नाखून, त्वचा और इससे संबंधित रोगों का अध्यन किया जाता है। यह औषधि और शल्यचिकित्सा दोनों के संदर्भ में एक पृथक विद्या है। एक तरह से हम यह भी कह सकते है की त्वचा हमारे शरीर की सबसे बड़ी अंग प्रणाली है। दरअसल दोस्तों त्वचा की समस्या हमेशा से चली आ रही है। ऐसा नही है की यह आज के वर्तमान माहौल के कारण शुरू हुआ है। इसका भी अपना पुराना इतिहास रहा है। इसके इतिहास के हिसाब से भी त्वचा की बाहरी समस्या के विकार या परेशानी शुरू से चली आ रही है।लेकिन तब भी पूरी तरह से इलाज संभव नही हो पाता था।  कुछ परेशानियों का इलाज संभव होता था तो कुछ का असंभव होता था, क्योंकि उन विकारो का इलाज ही नही मिलता था

त्वचा का प्रारूप : – 

त्वचा मानव शरीर का सबसे बड़ा एवं महत्वपूर्ण अंग है जो हमारे शरीर के सतही क्षेत्र के 1.6 मिलीमीटर को कवर करता है जो एक युवा के शरीर के वजन का लगभग 16 % होता है। बाहरी वातावरण के सीधे संपर्क में त्वचा की नमी को बनाये रखने में भी मदद करती है। वास्तव में हमें त्वचा के विज्ञान को समझने की अतिआवश्यकता है। जब हम त्वचा की सचाई को समझने की कोशिश करते है, तब हमें पता चलता है की हमारी त्वचा कितनी संवेदनशील है, जो सिर्फ छूने पर भी अपनी प्रतिक्रिया या रेस्पोंस देती है। हमें सर्दी गर्मी का एह्साह भी कराती है। हमरे शरीर के बाल नाखून नसें और कुछ ग्रंथिया भी त्वचा के हिस्सें है, जिनमे तैल ग्रंथी भी एक है। त्वचा को हम तीन परतो में विभाजित कर सकते है:-

  1. बाहरी त्वचा या Epidermiss 
  2. अंतर त्वचा या Dermiss
  3. अंत: त्वचा या Hypodermiss

त्वचा की मोटाई या thickness अलग – अलग शरीर के वजन और लम्बाई पर निर्भर करती है, लेकिन इसका औसत अनुमान 0.5 MM से 4.0 MM तक होता है। वैसे सामान्यत: त्वचा को 5 भागो में बाँटा गया है

  1. सामान्य त्वचा (Normal Skin):
  2. रुखी त्वचा (Dry Skin):
  3. तैलीयें त्वचा (Oily Skin)  :
  4. मिली जुली या मिश्रित त्वचा (Mix Skin) :
  5. संवेदनशील त्वचा (Sensetive Skin):

त्वचा के तीन मुख्य कार्य होते है :-

(I) संरक्षण (Protection) (II) नियमन (Regulating)  (III) संवेदन (Sensing)

हमारी दैनिक दिनचर्या में त्वचा के बहुत ही छोटे–बड़े कार्य होते है जो हमे किसी भी बीमारी से लड़ने में पहले सहायक का काम करते हैं। इनके ऊपर भार (Responsibility) बहुत ही अधिक होता है। इस बात का अंदाजा हम इसी बात से लगा सकते है की हमारे Finger Prints के 1 CM Sq में ही 750 merkel cells और 2500 Receptors होते है जो हमे touch और feel करने में सहायता करते है। हमारे शरीर में त्वचा का निर्माण बहुत ही बारीक़ Merkel Cell से हुआ है। मनुष्य का शरीर पदार्थ और आत्मा से मिलकर बना होता है। अर्थात त्वचा सिर्फ बाहर से दिखाई देनेवाली परत के अलावे भी बहुत कुछ है, जो जीवन और क्रियाशीलता से भरपूर होता है। त्वाचा भी हमरे शरीर के अन्य अंगो की तरह ही एक अंग है और इसे स्वस्थ रखने तथा पोषण प्रदान करने की आवश्यकता है। यद्यपि सुंदरता प्रत्येक व्यक्ति के ह्रदय में होती है और यह प्रत्येक इंशान के चेहरे और त्वचा पर काँटी के रूप में चमकती है। हालांकि सुंदरता की परिभाषा त्वचा से परे है, लेकिन त्वचा सुंदरता को सबसे पहले और अधिक प्रस्तुत करती है आधुनिक समय में सौन्दर्य उपचार केवल शारीरिक आवश्यकता को पूर्ण करते है, लेकिन ये उस रहस्य के बारे में नही बताते जिससे की हमारी त्वचा की प्रत्येक कोशिका चमकते और उर्जा एवं कांति से भर जाए

त्वचा सम्बन्धी समस्याओ के सामान्य कारण है :

उम्र, तनाव, अस्वस्थता या आधुनिक जीवनशैली, जैसे -धूम्रपान, शराब और नशीली दवाओं का सेवन। भोजन की गलत आदते, शरीर में हार्मोन से संबंधित बदलाव और कमजोर पाचन इत्यादि।त्वचा को कान्तिमान बनाने के लिए कई प्राकृतिक सौन्दर्य उपाय है, जिससे त्वचा को साफ करके उसका कायाकल्प किया जा सकता है। यहाँ स्वस्थ और कान्तिमान त्वचा पाने के लिए सर्वोतम उपायों की एक सूची दी गई है

(1) कुछ घरेलू उपाए :- 

सौन्दर्य का संरक्षण करने के लिए आयुर्वेद में कई उपाय हैं। आयुर्वेदिक स्क्रब या उबटन त्वचा का पोषण कोमलता के साथ करते है और त्वचा को बेहतर तरीके से सांस लेने में मदद करते है। इसमें सबसे अच्छी बात यह है की इसके लिए आपको सारी सामग्री हमारे घर के रसोई या किचेन-गार्डन में ही मिल जाती है

(2) पसीना आना :-

पैदल चलना, सीढियाँ चढ़ना, योग करना शारीरिक श्रम करना या तेज दौड़ना जैसे कुछ कार्यो को करने से हमारे शरीर में आवश्यक रक्त संचरण होता है  पसीना आना स्वस्थ त्वचा के लिए अच्छा और आवश्यक होता है

(3) टोनर :

त्वचा-क्या-है

एलोवेरा और गुलाब जल मिक्स करके एक टोनर बना ले और उसका प्रयोग रात को सोने के पहले करे इस मिश्रण को रात भर सूखने के लिए छोड़ दे और सुबह ताजे पानी से साफ कर ले। इस मिश्रण के प्रभाव से दाग-धब्बे दूर हो कर चेहरे पर चमक आ जाती है। जिसका रंग सांवला या काला होता है उनके चेहरे का रंग साफ हो जाता है।

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(4) फेस पैक :- 

संतरा के छिलके को छाया में या फ्रीज में सुखा कर उसे दर–दरा पीस लेफिर इस पाउडर ग्लिसरीन में मिला कर प्रतिदिन 20 मिनट तक अपने चेहरे पर लगा कर उसे साफ पानी से धो ले इस मिश्रण के प्रभाव से चेहरे की रंगत साफ होती है। साथ ही दाग-धब्बे दूर हो कर चेहरे पर चमक आ जाती है और चेहरा कांतिमान हो जाता है।

(5) उबटन :- 

त्वचा-क्या-है

 

बेसन, दही, शहद और निम्बू की कुछ बूंदो को मिला कर उबटन बना ले और प्रतिदिन फेसवाश या साबुन के बदले इस उबटन का प्रयोग करे तो त्वचा की सारी गंदगी साफ हो कर त्वचा कांतिमान हो जाती है  प्रतिदिन इस उबटन का प्रयोग करके सुन्दरता को और निखारा जा सकता है  

त्वचा के विज्ञान को समझने के लिए हमे अपने शरीर की प्रकृति और दोष की जानकारी भी होनी अति आवश्यक है। कई बार हमे ऐसा महसूस होता है की हमारी त्वचा में रूखापन आ गया है और हम कुछ भी अपनी त्वचा में लगा लेंचाहे कोई क्रीम, लोशन या तेल लेकिन त्वचा रुखी ही रहती है कभी-कभी हम देखते है की हमारे ही परिवार के दुसरे सदस्य या कोई मित्र और हम एक ही कंपनी के एक ही उत्पाद को प्रयोग करते है, लेकिन सब पर उसका प्रभाव अलग-अलग होता है इसका मुख्य कारण यही है की प्रत्येक मनुष्य के शरीर और त्वचा की प्रकृति अलग-अलग होती है आयुर्वेद के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति में दो या तीन प्रकृतियों का मेल होता है वाट, पित्र और कफ की प्रकृति

मुख्य रूप से प्रत्येक प्रकृति के विशेष गुण होते है, जो हमारे शरीर और व्यक्तित्व के साथ-साथ हमारी त्वचा की बनावट का भी निर्धारण करते है यदि हमारी त्वचा रुखी है तो ये संभव है की हमारा शरीर वात प्रकृति से प्रभावित होगा वही अगर हमारे शरीर की प्रकृति पित्त प्रकृति की होगी तो संभवत: त्वचा सामान्य प्रकृति की होगी बिल्कुल वैसे ही अगर हमारे शरीर की प्रकृति कफ प्रकृति की होगी तो त्वचा के तैलीय प्रकृति के होने की सम्भावन ज्यादा होती हैये सब कुछ हमारी त्वचा और हमारे शरीर की प्रकृति के मिश्रित फलस्वरुप होती है त्वचा की प्रकृति से हम यह जान सकते है कि हमारा भोजन किस तरह का या किस प्रकृति का होना चाहिए हम जो भोजन ले रहे है वह हमारे लिए उपयुक्त है या नही क्योंकि कहते है की जैसा हमारा भोजन होगा वैसा ही हमारा शरीर और मन होगा, अर्थात “ जैसा अन्न वैसा मन और तन” अर्थात अगर हमारा भोजन प्राकृतिक, सात्विक, स्वच्छ और पौष्टिक होगा तो हमारा शरीर और त्वचा भी स्वच्छ सुन्दर एवं कांतिमान होगा प्रोटीन, विटामिन, ताजे फल एवं हरी पत्तेदार सब्जियों से भर पुर प्राकृतिक भोजन हमें और हमारी त्वचा को स्वस्थ रखने में सहायक होता है इसके साथ ही उपरी तौर पर भी त्वचा की सफाई अति आवश्यक होती है

(1) रुखी त्वचा :- 

रुखी त्वचा के लिए प्राकृतिक तेल जैसे नारियल (coconut), अरण्डी (Castor), बादाम (Almond), जैतून (Olive) एवं सरसों (Mustered) के तेल का प्रयोग लाभकारी होता है। साथ ही ग्लिसरीन, एलोवेरा, शहद और मलाई जैसी चीजों से बने उबटन का प्रयोग भी अति लाभ कारी होता है

(2) तैलीय त्वचा :- 

तैलीय त्वचा के लिए निम्बू, दही, मसूर दाल और चावल के आटे का एस्क्रब और उबटन भी अति लाभकारी होता है तैलीय त्वचा के लोगो को चिकनाई दूर करने वाले घरेलू उबटन और प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल अवश्य करना चाहिए। जैसे की मुल्तानी मिट्टी, चन्दन पाउडर, गुलाब जल इत्यादि से बने उबटन हमारी त्वचा की खूबसूरती को और भी बढ़ा सकते है।

(3) मिश्रित त्वचा :- 

ऐसी त्वचा के लोगो को थोडा विशेष ध्यान देने की होती है क्योंकि अगर वे ज्यादा तैलीय चीजों का प्रयोग करे तो यह त्वचा के लिए हानिकारक साबित होता है और इसके प्रभाव से कील-मुहासे जैसी अनेक परेशानियां उत्पन होने लगती है। ठीक वैसे ही यदि ज्यदा रुखी चीजों का प्रयोग करे तो भी त्वचा शुष्क (Dryness) हो कर नुकसानदेह साबित हो सकती है। अत: ऐसे लोगो को अपनी त्वचा का विशेष ध्यान रखना चाहिए

अंत: दोस्तों यह भी ध्यान रखना चाहिए की ध्यान, योग, आत्मविश्वास और मन की सुंदरता ही हमारे शरीर और त्वचा को स्वस्थ और कांतिमान रख सकती है जिसके फलस्वरूप हम बाहरी तौर पर भी सुन्दर दिखते है

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धन्यवाद (थैंक यू ) 

 

 

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